Bharat & India भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा? How did Bharat get its name India?

भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा?

Bharat & India भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा?

हमारे देश का इतिहास हजारो साल पुराना है, और इसे(देश) को अलग अलग कालखंडो में अलग अलग नामो से पुकारा जाता रहा है , किन्तु हम यहाँ जानते है की भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा? भारत और इंडिया दो नाम दोनों वैध दोनों की अपनी पहचान एक किन्तु भारत भारतीयों का दिया हुआ नाम और इंडिया विदेशियों द्वारा किया गया नामकरण क्या बस इतना फर्क है,या और भी कुछ है इन नामो के पीछे जानते है विस्तार से |

अलग अलग समयकाल की बात करे तो भारत देश को भिन्न भिन्न नाम से पुकारा गया है, जैसे जबूद्वीप ,भरतखण्ड, हिमवर्ष , अजनाभवर्ष ,भारतवर्ष ,आर्यावर्त ,हिन्द ,हिंदुस्तान,इंडिया प्रमुख है |किन्तु आज हमारे देश के प्रचलित नामो में प्रमुख है भारत और इंडिया भारत जहाँ एक इतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के साथ अपनी पहचान रखता है वही इंडिया शब्द भी अपनी इतिहासिक पहचान लिए हुए है |

देश के संविधान की बात की जाये तो दोनों ही नामो को वैधानिक मान्यता प्राप्त है और वर्षो से दोनों नामो का यथोचित इस्तेमाल भी किया जाता रहा है |देश की कई संस्थाओ का नाम भारत और इंडिया के नाम पर रखा गया है |

भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा?

भारत नाम कैसे पड़ा ?

भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा? लेख में सबसे पहले ये जानना जरुरी है की देश का नाम भारत कैसे पड़ा इस पर तीन तरह के विचार है जिसमे पहला है जिसमे ऐसा कहा जाता है की राजा दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत के नाम पर पड़ा है |दूसरा विचार है की भारत वैदक काल से आया है कहा जाता है की एक वैदिक जनजाति को भारत कहा जाता था |तीसरा विचार है की भारत  विष्णु पुराण ,अग्निपुराण ,और स्कंध पुराण से आया है जिसमे वर्णित है की ऋषवदेव के पुत्र भरत के नाम पर हुआ |

जिनका जन्म इक्ष्वाकु वंश में हुआ था | पुराणों में सिर्फ भारत नाम पर ही नहीं बल्कि जिस धरती को भारत भूमि कहा जायेगा उसका भी वर्णन मिलता है |विष्णु पुराण में एक श्लोक है | उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् |वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः || इसका मतलब है समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो देश है उसे भारत कहते हैं तथा उसकी संतानों (नागरिकों) को भारती कहते हैं। इससे न सिर्फ हमारे देश का नाम भारत पता चलता है बल्कि भारत देश की सीमाओं का भी पता चलता है |

भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा?

भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा? ऐसा कहा जाता है की अंग्रेजो द्वारा भारत का नाम सिंधु नदी के नाम पर इंडिया रखा क्योकि सिंधु नदी का दूसरा नाम इंडस था |उस समय भारत को हिंदुस्तान कहा जाता था| अंग्रेजो को यह नाम बोलने में परेशानी होती थी | ऐसे में जब उन्हें पता चला की भारत की सभ्यता सिंधुघाटी से जुडी है जिसे अंग्रेजी में इंडस वेल्ली कहा जाता है तो उन्होंने भारत को इसी आधार पर इंडिया नाम दिया | और इस तरह भारत का नाम इंडिया पड़ गया|

भारत के कितने नाम है?

इतिहास के अनुसार अलग अलग कालखंड में भारत देश को भिन्न भिन्न नाम रहे है, जैसे

जबूद्वीप

भरतखण्ड

हिमवर्ष

अजनाभवर्ष

भारतवर्ष

आर्यावर्त

हिन्द

हिंदुस्तान

इंडिया प्रमुख है

सामन्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न

 प्रश्न :भारतीय संविधान में देश के कितने नामों का उल्लेख है?

उत्तर : दो नाम (भारत और इंडिया )

 प्रश्न : इंडिया शब्द कहाँ औऱ कैसे आया हैं?

उत्तर : इंडिया शब्द सिंधु नदी(इंडस) से आया है

 प्रश्न : भारत को इंडिया क्यों कहते हैं?

उत्तर : सिंधु नदी(इंडस) के कारण

प्रश्न : भारत का नाम हिंदुस्तान कैसे पड़ा?

उत्तर : ऐसा कहा जाता है की जब तुर्की और ईरानी भारत के दाखिल हुए तो सिंधु नदी से हुए और ये लोग स को ह कहते थे इसलिए इन्होने सिंधु को हिन्दू कहा और और हिन्दू के देश को हिंदुस्तान कहा जाने लगा

देश को दोनों ही नामो से  जाना जाता है भारत और इंडिया साथ ही  देश के प्रमुख संस्थाओ के नाम भी भारत और इंडिया दोनों के नाम पर रखे गए है सरकारी विभाग को भी गवर्नमैंट ऑफ़ इंडिया और भारत सरकार भी कहते है | भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा? आर्टिकल में हमने भारत और इंडिया के सम्बन्ध में सटीक जानकारी बिभिन्न सूत्रों से एकत्रित की है |और आपके के लिए सरल भाषा में प्रस्तुत की है इसमें कोई त्रुटि हो तो क्षमा करे तथा आपके सुझाव और विचार जरूर हमारे साथ साझा करे ताकि हम आपके लिए और बेहतर जानकारी उपलब्ध करा सके धन्यवाद |

भारत आज अंतरिक्ष के माध्यम से सूचना और तकनीक क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता जा रहा है , इसमें इसरो का बहुत ही मत्वपूर्ण योगदान है :यह लेख भी जरूर पड़े :इसरो के बारे में जानकारी

One thought on “Bharat & India भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा? How did Bharat get its name India?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page