श्री गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है? श्री गणेश चतुर्थी का महत्त्व क्या है ?
हमारे देश को उत्सव का देश कहा जाता है यहां पर साल भर कई प्रकार के उत्सव मनाए जाते हैं जिनमें प्रमुख हैं गणेश उत्सव | श्री गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है? श्री गणेश चतुर्थी का महत्त्व क्या है ? यहां विस्तार से जानेंगे हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता कहा जाता है भगवान गणेश ज्ञान बुद्धि समृद्धि के देवता माने जाते हैं इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है श्री गणेश को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे गजानन, गणेश, विघ्नहर्ता, विनायक, एकदंत और वक्रतुंड आदि
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था इस दिन से ही 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत गणपति बप्पा के भक्त बप्पा को बड़े जोर बड़े हर्षोल्लास के साथ अपने घर में स्थापित करते हैं तथा 10 दिनों तक बप्पा की पूजा अर्चना करते हैं
10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव को को ना केवल पारिवारिक रूप से बल्कि सामूहिक रूप से गांव और शहरों के भिन्न भिन्न मंडलों द्वारा भव्य स्तर पर मनाया जाता है इस दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा कई प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है
और कही कहीं भव्य और मनोहारी झांकियां एवं प्रदर्शनी आदि का आयोजन भी होता है मुख्य रूप से यह त्यौहार हिंदू धर्म में 10 दिन तक तक भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना और भक्ति के त्योहार के रूप में मनाया जाता है ऐसा कहा जाता है अनंत चतुर्दशी के दिन जब भगवान श्री गणेश अपने घर लौटते हैं तो साथ में हमारे संकट कष्ट और विघ्न को भी अपने साथ ले जाते हैं इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता भी कहते हैं।
श्री गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है?
गणेश उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश भगवान के जन्मदिन के उपलक्ष में गणेश चतुर्थी को मनाया जाता है । पहले या उत्सव एक दिवसीय मनाया जाता था किंतु बाद में श्री बाल गंगाधर तिलक के आह्वान पर तथा समाज को एकजुट करने के उद्देश्य से इसे 10 दिवसीय गणेश महोत्सव का रूप दिया गया प्रारंभ में गणेश उत्सव महाराष्ट्र शुरू हुआ और महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में इसे धूमधाम से मनाया जाने लगा किंतु धीरे-धीरे यह देश के कोने कोने में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने लगा
श्री गणेश उत्सव की शुरुआत कब हुई
श्री गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है? है जानने के बाद यह जानना बहुत आवश्यक है की श्री गणेश उत्सव की शुरुआत कब हुई श्री गणेश उत्सव की शुरुआत सर्वप्रथम छत्रपति शिवाजी महाराज के समय पर हुई थी ऐसा कहा जाता है की गणेश उत्सव की शुरुआत शिवाजी महाराज जी की मां जीजाबाई द्वारा की गई थी। आगे जाकर पेशवाओ ने इसे आगे बढ़ाया। किंतु राष्ट्रीय स्तर पर गणेश उत्सव को ले जाने का श्रेय श्री बाल गंगाधर तिलक को जाता है ।
उन्होंने 1893 मैं गिरगांव में पहले सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत की, इसके पीछे उनका मकसद लोगों को एकजुट करके जातिगत भेदभाव खत्म करना था । लोगों का मानना है कि श्री बाल गंगाधर तिलक ने पहली बार मिट्टी के गणेश जी की स्थापना कर 10 दिनों तक चलने वाले सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत की थी । बाद में गणेश उत्सव का यह त्यौहार धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्तर पर संपूर्ण भारत में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ में मनाया जाने लगा, आज देश के प्रत्येक राज्य शहर और छोटे-छोटे गांव में भी गणेश उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है ।
श्री गणेश जी की कहानी क्या है?
ऊपर हमने जाना की श्री गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है? और गणेश उत्सव की शुरआत किसने की अब जानते है श्री गणेश जी की कहानी क्या है? भगवान श्री गणेश की कहानी अति रोचक और प्रेरणादाई है पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार की बात है मां पार्वती स्नान के लिए जाती हैं तब वह पहरेदारी करने के लिए अपने शरीर के मेल से एक बालक रूपी पुतले का निर्माण करती हैं तथा फिर उसमें जान डाल देती हैं
जिससे मां पार्वती के मेल के द्वारा एक सुंदर बालक का जन्म होता है मां पार्वती उसे द्वार पर बैठाकर स्नान करने चली जाती है। और बालक को कहती है कि मैं जब तक स्नान करके ना आऊं तब तक मेरी आज्ञा के बिना किसी को अंदर ना आने देना
मां पार्वती की आज्ञा मानकर वाह बालक द्वार पर पहरेदारी करने लगता है। तभी वहां पर भगवान शिव आ जाते हैं तो वह बालक भगवान शिव को अंदर जाने से रोकता है । भगवान शिव उस बालक को रास्ते से हटने के लिए कहते हैं किंतु वह बालक भगवान शिव को मां पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए वही रोक देता है । इससे भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं और क्रोध में अपने त्रिशूल से बालक की गर्दन धड़ से अलग कर देते हैं ।
बालक की दर्द भरी आवाज सुनकर मां पार्वती बाहर आ जाती हैं और बालक की गर्दन को धड़ से अलग देखकर उन्हें बहुत दुख होता है तब भगवान शिव को बताती है कि इस बालक का का जन्म उनके द्वारा ही किया गया था तथा बालक मां पार्वती की आज्ञा का ही पालन कर रहा था। मां पार्वती दुखी होकर भगवान शिव से उस बालक को पुनः जीवित करने का आग्रह करती हैं।
तब भगवान शिव अपने गणों को यह कहते हुए पृथ्वी पर भेजते हैं की जो मां बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो उस बच्चे का सर ले आओ तब गण पृथ्वी पर जाते हैं और देखते हैं कि एक हाथी के बच्चे की मां उसकी तरफ पीठ करके सो रही है तो वह उस बच्चे का सर ले आते हैं । और भगवान शिव सर को उस बच्चे के धड़ में लगा देते हैं अतः वह बच्चा पुनः जीवित हो जाता है ।
और उस बालक का नाम गणेश रख दिया जाता है तथा भगवान शिव वरदान देते हैं की सभी देवताओं में प्रथम पूजा श्री गणेश की ही होगी तभी से माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान श्री गणेश की पूजा से ही की जाती है। और ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री गणेश की पूजा के बिना कोई भी काम पूरा नहीं होता
श्री गणेश चतुर्थी का महत्त्व क्या है ?
सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का बहुत महत्त्व है , इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते है , कई साधक इस दिन उपवास भी रखते है |भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है , वे भक्तो के विघ्न को हर कर मनोकामनाओ को पूरा करते है | इस दिन साधक भगवान गणेश की पूजा और व्रत करके घर परिवार की सुख समृद्धि की कामना करता है साथ ही कष्टों के नाश और बुद्धि ,धन और सुख शांति की प्रार्थना करते है |ऐसा कहा जाता है की गणेश चतुर्थी भक्तो के लिए फलदायी होती है |
श्री गणेश चतुर्थी की कथा क्या है ?
श्री गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है? श्री गणेश चतुर्थी का महत्त्व क्या है ? लेख में आईये अब जानते है गणेश चतुर्थी की कथा क्या है पौराणिक ग्रंथो के अनुसार एक बार माँ पार्वती स्नान करने जाने के पहले अपने मेल से एक बालक रूपी पुतले की रचना की और उसमे प्राण डाल दिए तथा उसे कहा की जब तक मैं स्नान करके न आऊं तब तक तू यही बैठे रहना और किसी को अंदर न आने देना |माँ पारवती की आज्ञा अनुसार वह बालक द्वारपाल बनकर पहरा देने लगा तभी भगवान शिव वहां आ जाते है |
बालक उन्हें द्वार पर ही रोक देता है भगवान शिव उसे द्वार से हटने को कहते है | किन्तु वह बालक उन्हें अंदर जाने नहीं देता तब क्रोधित होकर भगवान शिव बालक की गर्दन धड़ से अलग कर देते है |यह देख कर माँ पार्वती दुखी हो जाती तब भगवान शिव हाथी के बच्चे का सर लगाकर बालक को पुनः जीवित कर देते है और उसे नाम देते है गणेश तथा यह चतुर्थी का दिन होता है इसीलिए इसे गणेश चतुर्थी कहते है |मान्यता है की गणेश चतुर्थी का व्रत करके तथा कथा सुनकर व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते है |जीवन में कष्टों का निवारण होता है तथा सुख और समृद्धि प्राप्त होती है |
श्री गणेश जी का मंत्र क्या है ?
श्री गणेश जी का प्रमुख मंत्र जो प्रभावी और फलदायी है |
“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ |
निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा “||
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
श्री गणेश आवाहन मंत्र क्या है ?
मंगलकर्ता भगवान गणेश जी की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए इस मंत्र को श्री गणेश आवाहन मंत्र कहते है | यह मंत्र बहुत प्रभावी माना जाता है |
गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे |
निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ||
श्री गणेश उत्सव की शुरुआत कैसे हुई?
श्री गणेश उत्सव की शुरुआत क्षत्रपति शिवाजी महाराज के समय में उनकीं माँ जीजाबाई के द्वारा की गई किन्तु सार्वजनिक गणेश उत्सव मानाने की परंपरा 1893 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा महाराष्ट्र से की गई थी |
श्री गणेश उत्सव किसने शुरू किया और क्यों?
सार्वजनिक गणेश उत्सव मानाने की परंपरा 1893 में श्री बाल गंगाधर तिलक द्वारा महाराष्ट्र से की गई थी |बाद में यह राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा इसे तरह के आयोजन का उद्देश्य जातिगत विविधता को दूर करके सब को एक साथ लाना था |अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की लड़ाई में एकजुट होकर एक स्थान से आज़ादी की लड़ाई सही दिशा दी जा सके साथ ही सार्वजानिक स्तर पर क्रन्तिकारी पाने विचार जनता के साथ साझा कर सके |
श्री गणेश उत्सव की शुरुआत कब हुई?
सार्वजनिक गणेश उत्सव मानाने की परंपरा 1893 में श्री बाल गंगाधर तिलक द्वारा महाराष्ट्र से की गई थी |
श्री गणेशजी को प्रसन्न करने का मंत्र क्या है ?
श्री भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने का प्रभि मंत्र है |
ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।
इस लेख में हमने आपको बताया की श्री गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है? श्री गणेश चतुर्थी का महत्त्व क्या है ? श्री गणेश जी की कहानी क्या है? तथा भगवान गणेश के मंत्र और आरती क्या है ,भगवान गणेश विघ्हर्ता तथा सुखकर्ता है वे भक्तो के कष्टों को हर कर सुख ,समृद्धि ,ज्ञान और जीवन में शांति प्रदान करते है | भगवान गणेश का शुभ दिन बुधवार माना जाता है इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है |
हमने भगवान श्री गणेश के विषय में अधिक अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश की है उम्मीद है आपको पसंद आयी होगी |अपने विचार और मार्गदर्शन जरूर दे ताकि हम आपके लिए और बेहतर जानकारी जुटा सके | जय श्री गणेश
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