आज के बदलते परिवेश में “चिंता और तनाव” मानव मन की एक स्वाभाविक स्थिति बन गई है | इस लेख में हम जानेंगे चिंता के कारण ,चिंता और तनाव से मुक्ति पाने के 6 सरल उपाए |व्यक्ति चाहे अकेला रहे , परिवार में रहे ,समाज में रहे , उसका अपने ,परिवार या समाज के बारे में चिंता करना स्वाभाविक है ,मानव जीवन की अनेक आवश्यकताएं ,अभिलाषाएं होती है |जिनकी पूर्ति हेतु वह चिंतित रहता है |
यह चिंता यदि सकारात्मक है ,तो ठीक है किन्तु यह नकारात्मक होती है तो मन में भय , आशंका ,शिथिलता और निष्क्रियता पैदा करती है |जो की मानव के दुख का मुख्य कारण है और जो उसके शरीर को भीतर ही भीतर खोखला बना देती है वैसे चिंता को चिता सामान बताया गया है ,जो आदमी को अंदर ही अंदर धीरे धीरे करते जलाती है जिससे मन में उत्साह और प्रसन्नता समाप्त हो जाती और वह हर समय भयभीत रहता है |
चिंता के कारण
असल में चिंतित व्यक्ति बुद्धू नहीं होते बल्कि समझदार होते है| वे संवेदनशील और दुसरो की फिक्र करने वाले होते है ,वे प्रेमवश ,स्वार्थवश और कभी कभी असुरक्षाभाव से चिंताग्रस्त रहते है आज के इस तेजी से बदलते परिवेश ने इंसान सबसे जयादा असुरक्षा और असंतोष की भावना से ग्रसित होकर चिंतित रहता है |
आज हर चिंतित व्यक्ति ऊपर से बहुत शांत नजर आता है किन्तु अंदर ही अंदर वह चिंता से लड़ रहा होता है किसी को अपने व्यवसाय की उन्नति की चिंता है तो किसी को भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति की तो किसी को परीक्षा की तो कोई रोजगार को लेकर चिंतित है तो कोई अपने और प्रियजन के स्वस्थ्य की चिंता में चिंतित है चिंता के अनेक करना है | जरुरी यह है की इसका निवारण ढूंढा जायेऔर इस कल्पित भय से मुक्त हुआ जाये |
चिंता और तनाव से मुक्ति पाने के 6 सरल उपाए
1 सकारात्मक सोच :
चिंता कोई ऐसी बीमारी नहीं जिसे खत्म न किया जा सके चिंता को ख़त्म करने के लिए जरुरत है सिर्फ सकारात्मक सोच की कल्पित भय को त्यागने की और अपने आत्मविश्वास को पहचाने की, हर स्थिति में सकारात्मक पक्ष को देखे और सिर्फ यह सोचे की मेरे साथ जो होगा सब अच्छा होगा मै भविष्य में होने वाली हर परेशानियों और बुराइयों से मुकाबला करने को तैयार हूँ | क्योकि की मै इसके लिए हर पल सक्षम हूँ |
ऊपरवाले ने मुझपर विश्वास किया है और इस तकलीफ से मुक़ाबला करने के लिए मुझे चुना है इसलिए मेरे सभी निर्णय सही होंगे और मै हमेशा सही हूँ |आप देखेंगे की आप के अंदर एक नयी ऊर्जा और शक्ति का संचार होगा |और आप चिंता मुक्त हो जायेंगे क्योकि हमारी समस्त क्रियाओं का क्रियान्वयन मस्तिष्क के द्वारा ही होता है याद रखिये मुर्गी के अंडे से मोर पैदा नहीं होते हम यदि नकारात्मक सोचेंगे तो हमारे साथ वही घटित होगा और हम अच्छा और सकारात्मक सोचेंगे तो निश्चित ही हमारे साथ अच्छा होगा |इसलिए हर हल में परिस्थितिओ के सकारत्मक पक्ष के बारे में सोचे
2 वर्तमान में जिए :
अक्सर देखा जाता है चिंतित व्यक्ति वर्तमान में न रह कर अतीत और भविष्य में ही घूमता रहता है |कल क्या हुआ उसे भूल जाईये क्योकि जो बीत गया उसे बदला नहीं जा सकता तो याद करके भी क्या लाभ, और हम जिस भविष्य के बारे सोच कर डर रहे है| वो है ही नहीं और होगा भी नहीं क्योकि हमारा भविष्य वर्तमान के भूगर्भ में है और हम भविष्य तभी सुधार सकते है, जब भविष्य की चिंता छोड़ वर्तमान को सँवारने का उत्साह से प्रयास करे |
याद रखिये आप का वर्तमान अच्छा है तो भविष्य निश्चित ही अच्छा होगा क्योकि सुखद भविष्य के पेड़ का बीज वर्तमान ही है |इसलिए साडी चिंता छोड़कर उत्साह और प्रसन्ता से वर्तमान में जिए |
3 चिंता को मन में ना रखे :
अक्सर हम मन की बात अपने मन ही में रखते है और चिंता को पालते चले जाते है और मन ही मन घुटते रहते है |याद रखिये आपका परिवार और आपके दोस्त आपकी सबसे बड़ी ताकत है,अपने परिवार और दोस्तों से अपने मन की बात दिल खोलकर कह डालिये फिर देखिये चिंता का पेड़ कैसे सुखता है| अक्सर देखा गया है की जब हम अपनी चिंता अपने प्रियजन से बाट लेते है तो हमर मन हल्का हो जाता है और हम चिंता रहित महसूस करते है |
4 खुद की शक्ति को पहचाने :
आप अपनी सराहना कीजिये ,इस संसार में आपका सबसे घनिष्ठ मित्र आप ही है|इसीलिए अपने चरित्र की श्रेष्ठता को पहचानिये, अपनी सराहना कीजिये ,अपने गुणों को पहचानिये ,फिर देखिये आपकी चिंता कैसे गायब होती है |क्योकि आपको चिंता की नहीं चिंतन की आवश्यकता है |
5 पसंदीदा काम करे :
आप ईश्वर की श्रेष्ठ कृति है , इसीलिए खुद को समय दीजिये आपको जो पसंद है वह कार्य करे ,आपको संगीत सुनना पसंद है ,पढ़ाना पसंद है, चित्र बनाना पसंद है, किसी खेल में रूचि है या आपको को कोई फिल्म या क्रिकेट देखना अच्छा लगता है तो जरूर करे आपकी रूचि आपके मन को प्रसन्न रखती है| चिंता तो हराना चाहते हो तो अपने शौक और रूचि के कार्यो के लिए समय अवश्य निकाले
6 योग और मेडिडेशन करे :
चिंता मुक्ति और मन की शांति के लिए योग और मेडिडेशन (ध्यान ) बहुत आवश्यक है ये मन को एकाग्रता पदान करता है साथ दिमाग को शांत करके उत्साह और प्रसन्ता का अनुभव करता है | चिंता एक मासिक अवधारणा है जब दिमाग अस्थिर होता है हम किसी चीज के बारे अधिक और नकारात्म पक्ष के बारे में ज्यादा सोचते है तो चिंता होने लगाती है योग और मेडिडेशन में द्वारा हम दिमाग को शांत कर सकते है और चिंता मुक्त हो सकते है |
चिंता और तनाव से मुक्ति पाने के 6 सरल उपाए में हमने जाना की चिंता मानव स्वाभाव की एक मनोस्थिति है जो किसी के साथ भी हो सकती है | जरुरी है हम इसका निवारण ढूंढे न की इसे मन में रखकर इसका विकास करे अक्सर देखा गया है की जिस चीज की चिंता होती है वे चीजे अभी तक घटित ही नहीं हुई है फिर उसकी चिंता कैसी इसलिए व्यस्त रहिये मस्त रहिये और स्वस्थ रहिये |अगर आपको हमारा लेख पसंद आया हो तो अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करे |धन्यवाद
( स्पष्टीकरण : ध्यान दे उपयुक्त जानकारी एक सामान्य जानकारी है यह किसी विशेषज्ञ द्वारा बीमारी के इलाज का विकल्प नहीं है यदि आपकी स्थिति गंभीर है तो कृपया सम्बंधित डॉक्टर से सलाह ले |)
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