भोपाल
प्रदेश में बेटियों के भविष्य को सुरक्षित रखने और समाज में बढ़ते लैंगिक असंतुलन पर प्रभावी नियंत्रण के उद्देश्य से गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम को और सशक्त बनाने की दिशा में राज्य स्तर पर महत्वपूर्ण पहल की गई है। प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा श्री संदीप यादव की अध्यक्षता में आयोजित राज्य सुपरवाइजरी बोर्ड (पी.सी.पी.एन.डी.टी.) की बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए।
बैठक में जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों की सहभागिता इस बात का संकेत है कि सरकार इस संवेदनशील सामाजिक मुद्दे को केवल कानून तक सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि समाज को भी इसकी लड़ाई में भागीदार बनाना चाहती है। बैठक में विधानसभा सदस्य श्रीमती प्रियंका मीणा, आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा श्री तरुण राठी, अतिरिक्त सचिव विधि एवं विधायी कार्य श्री निशित खरे सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भ्रूण लिंग चयन जैसी सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश में संचालित “पुनरीक्षित मुखबिर पुरस्कार योजना” का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा, ताकि आम नागरिक निर्भय होकर आगे आएं और इस अपराध की सूचना दे सकें। उल्लेखनीय है कि इस योजना के अंतर्गत शासन द्वारा कुल 2 लाख रुपये तक का पुरस्कार प्रदान करने का प्रावधान है। मुखबिर की सूचना पर सफल स्टिंग ऑपरेशन या प्रकरण पंजीबद्ध होने पर 50 हजार रुपये, तथा न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध होने पर अतिरिक्त 30 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाता है।
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि पी.सी.पी.एन.डी.टी. अधिनियम की धारा-22 के अंतर्गत लिंग चयन से संबंधित किसी भी प्रकार के विज्ञापन—चाहे वह प्रिंट हो या इंटरनेट—पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। इसके बावजूद साइबर माध्यमों से ऐसे अवैध प्रचार की बढ़ती प्रवृत्ति चिंता का विषय है।
इसी को ध्यान में रखते हुए साइबर विज्ञापनों, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेची जा रही आपत्तिजनक सामग्री तथा इंटरनेट पर उपलब्ध अवैध ब्लॉग्स और वीडियो पर कड़ी निगरानी रखने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए विभाग द्वारा पुलिस महानिरीक्षक (इंटेलिजेंस) के समन्वय से पी.सी.पी.एन.डी.टी. अधिनियम, 1994 तथा आई.टी. अधिनियम, 2000 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि लिंग चयन आधारित गर्भपात केवल एक कानूनी अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक असंतुलन और भविष्य में बढ़ती लैंगिक हिंसा का कारण भी बन सकता है। इसे रोकने के लिए जन-प्रतिनिधियों के सोशल मीडिया पेज, जिलों की आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जन-जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे, ताकि समाज स्वयं इस कुप्रथा के विरुद्ध खड़ा हो सके।
यह बैठक एक संदेश है कि बेटी बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है, और इस दिशा में हर जागरूक नागरिक की भागीदारी आवश्यक है।
