भगवान हनुमानजी के 17 चमत्कारी मंदिर
भगवान हनुमानजी हिंदू धर्म में सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवताओं में से एक हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार संकट मोचन भगवान हनुमानजी के पिता केसरी और माता अंजना है किन्तु धार्मिक मान्यता यह है कि वे भगवान शिव का अवतार थे और उन्हें शिव जी के अंश के रूप में भी पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर राम अवतार लिया तब भगवान शिव ने उनके साथ रहने के लिए पृथ्वी पर हनुमान रूप में अवतार लिया। भगवान हनुमानजी के 17 चमत्कारी मंदिर आर्टिकल में हम भगवान हनुमानजी के प्रमुख चमत्कारी मंदिरो के बारे में जानेगे |
हनुमानजी को उनके साहस, शक्ति और उनके ज्ञान तथा नेतृत्व कौशल के लिए जाना जाता है। हनुमानजी का वर्णन रामायण में विस्तार से मिलता है और उनकी भूमिका सम्पूर्ण रामायण में मुख्य रूप से मिलती है । उनके बारे में प्रचलित मान्यताओं में उनकी श्री राम के प्रति अटूट भक्ति, श्रद्धा भावना, उनकी बचपन की शरारतें और माता सीता को खोजने में प्रभु श्री राम की सहायता करना मुख्य रूप से वर्णित हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी न केवल भगवन राम के साथ में यानी रामायण काल में मौजूद थे। बल्कि भगवान कृष्ण के साथ महाभारत काल में भी थे पौराणिक तथ्य बताते है कि हनुमान जी अर्जुन के रथ पर अपने चित्रित ध्वज के रूप में कुरुक्षेत्र के युद्ध में भी उपस्थित थे।
ऐसा उन्होंने भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम वश किया था । भगवान कृष्ण भी विष्णु जी का अवतार थे और इसी वजह से हनुमान जी उनके साथ युद्ध क्षेत्र में उपस्थित थे। हनुमान जी की उपस्थिति ने कुरुक्षेत्र युद्ध में अर्जुन के रथ और अर्जुन को सुरक्षा प्रदान की और जैसे ही युद्ध में विजय मिली हनुमान जी वापस अपने मूल रूप में आ गए।
हनुमान जी का नाम जन्म के समय हनुमान नहीं था बल्कि एक बार उन्होंने सूर्य को फल समझकर निगल लिया था। तब इंद्र देवता ने सूर्य को मुक्त करने के लिए वज्र प्रहार किया और उनका हनु मतलब जबड़ा क्षतिग्रस्त हो गया। तभी से उनका नाम हनुमान पड़ा क्योंकि हनुमान संस्कृत के हनुमत शब्द से बना है। हनुमत एक शब्द और एक प्रत्यय का जोड़ है। हनु या हनू का अर्थ है जबड़ा और मत प्रत्यय बन जाता है।
तो, इस प्रकार संकट मोचन भगवान हनुमानजी का नाम हनुमान पड़ा हनुमान के नाम बजरंग बली,मारुति ,अंजनि सूत,केसरी नंदन ,संकटमोचन,पवनपुत्र,महावीर, कपीश, शंकर सुवन आदि प्रमुख है. साथ ही हर तरह के संकट का नाश चतुराई से करने के कारण वह संकटमोचन भी कहे जाते हैं. पौराणिक मान्यताओं में बजरंगबली को कलयुग का प्रत्यक्ष देव कहा गया है.
मान्यता ये भी है कि हनुमान को अजर-अमर होने का आशीर्वाद स्वयं माता सीता से मिला था. कलयुग में संकटो का नाश करने के लये भगवान हनुमानजी के 17 चमत्कारी मंदिर है जहां लाखो भक्तो और श्रद्धालुओं का वर्ष भर ताँता लगा रहता है यहाँ भक्त अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है
1.मेहंदीपुर बालाजी
राजस्थान के मेहंदीपुर वाले बालाजी देश ही नहीं दुनियाभर में लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं। श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम भारत देश के राजस्थान राज्य के दौसा जिले मे स्थित है। ये मंदिर श्री राम भक्त संकट हनुमानजी के 17 चमत्कारी मंदिर में से एक है। क्योंकि हनुमान जी ने बहुत सी लीलाएँ अपने बाल रूप में की हैं इसलिए कुछ स्थानों पर इन्हें बालाजी के नाम से भी जाना जाता है।
श्री हनुमान जी महाराज यहाँ पे बाल रूप में विराजमान है। भक्त वर्षभर श्री बालाजी महाराज के दर्शन कर उनका आशीर्वाद ग्रहण करें। श्री बाला जी महाराज के दर्शन से ही भक्तो के सभी संकट कट जाते है।ये बात केवल एक मिथ्या है , कि श्री मेहंदीपुर बाला जी धाम में केवल संकट वाले ही आते है। मेहंदीपुर धाम में भक्तो की सभी प्रकार की मनोकामनाए पूर्ण होती है ।
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सालासर बालाजी हनुमान मंदिर, राजस्थान
दाढ़ी और मूंछ वाली अनोखी हनुमान जी की मूर्ति को लोग सालासर वाले हनुमान जी के नाम से संबांधित करते हैं। यह मंदिर राजस्थान के चुरू जिले में स्थित सालासर गांव में स्थित है। यह मंदिर भी संकट हनुमानजी के 17 चमत्कारी मंदिर में से एक है कहते हैं कि हनुमत भक्ति के इस धाम में आने वाला व्यक्ति कभी खाली हाथ वापस नहीं जाता और उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
3.हनुमानगढ़ी अयोध्या
पवनपुत्र हनुमान को समर्पित यहाँ मंदिर अयोध्या रेलवे स्टेशन से 1 किमी दूरी पर स्थित है, इस मंदिर का निर्माण विक्रमादिय द्वारा करवाया गया था जो आज हनुमान गढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है| ऐसी मान्यता है की पवनपुत्र हनुमान यहाँ रहते हुए कोतवाल के रूप में अयोध्या की रक्षा करते हैं| मंदिर के प्रांगन में माता अंजनी के गोद में बैठे बाल हनुमान को दर्शाया गया है|
4.हनुमान मंदिर, प्रयागराज
प्रागराज किले से सटा यह मंदिर लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा वाला एक छोटा किन्तु प्राचीन मंदिर है। भगवान हनुमानजी के 17 चमत्कारी मंदिर में से एक जहाँ हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। यहां पर स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा 20 फीट लम्बी है। रेलवे स्टेशन के पास शहर के बीचों-बीच स्थित यह मंदिर साल भर खुला रहता है और यहां काफी संख्या में तीर्थयात्री पूजा-अर्चना करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहाँ दर्शनकर भक्तों की मनोकामनाएँ पू्र्ण होती हैं। हनुमान की यहां स्थापित अनूठी प्रतिमा को “प्रयाग का कोतवाल” होने का दर्जा भी हासिल है
5.हनुमान धारा, चित्रकूट
उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थापित है। सीतापुर से हनुमान धारा की दूरी तीन मील है। यह स्थान पर्वतमाला के मध्यभाग में स्थित है। पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर पर दो जल के कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है। इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है। इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं।
धारा का जल पहाड़ में ही विलीन हो जाता है। उसे लोग प्रभाती नदी या पाताल गंगा कहते हैं। इस स्थान के बारे में एक कथा इस प्रकार प्रसिद्ध है- श्रीराम के अयोध्या में राज्याभिषेक होने के बाद एक दिन हनुमानजी ने भगवान श्रीरामचंद्र से कहा- हे भगवन! मुझे कोई ऐसा स्थान बतलाइए, जहां लंका दहन से उत्पन्न मेरे शरीर का ताप मिट सके। तब भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को यह स्थान बताया।
6.श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर, गुजरात
अहमदाबाद-भाव नगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर लगभग 12 मील दूर है। यहां एक प्रसिद्ध मारुति प्रतिमा है। महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इस शिला मूर्ति की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1905 आश्विन कृष्ण पंचमी के दिन की थी। जनश्रुति है कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में श्री हनुमानजी का आवेश हुआ और यह हिलने लगी। तभी से इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर स्वामी नारायण सम्प्रदाय का एकमात्र हनुमान मंदिर है।
7.श्री बाल हनुमान मंदिर, जामनगर, गुजरात
सन् 1540 में जामनगर की स्थापना के साथ ही स्थापित यह हनुमान मंदिर, गुजरात के गौरव का प्रतीक है। यहाँ पर सन् 1964 से “श्री राम धुनी” का जाप लगातार चलता आ रहा है, जिस कारण इस मंदिर का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।
8.यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर, हंपी, कर्नाटक
बेल्लारी जिले के हंपी नामक नगर में एक हनुमान मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमानजी को यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है। विद्वानों के मतानुसार यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है। वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में इस स्थान का वर्णन मिलता है। संभवतया इसी स्थान पर किसी समय वानरों का विशाल साम्राज्य स्थापित था। आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं। इस मंदिर में श्रीराम नवमी के दिन से लेकर तीन दिन तक विशाल उत्सव मनाया जाता है।
9.श्री पंचमुख आंजनेयर हनुमान, तमिलनाडू
तमिलनाडू के कुम्बकोनम नामक स्थान पर श्री पंचमुखी आंजनेयर स्वामी जी (श्री हनुमान जी) का बहुत ही मनभावन मठ है। यह मंदिर भी संकट मोचन भगवान हनुमानजी के 16 चमत्कारी मंदिर में से एक है यहाँ पर श्री हनुमान जी की “पंचमुख रूप” में विग्रह स्थापित है, जो अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है। यहाँ पर प्रचलित कथाओं के अनुसार जब अहिरावण तथा उसके भाई महिरावण ने श्री राम जी को लक्ष्मण सहित अगवा कर लिया था,
तब प्रभु श्री राम को ढूँढ़ने के लिए हनुमान जी ने पंचमुख रूप धारण कर इसी स्थान से अपनी खोज प्रारम्भ की थी। और फिर इसी रूप में उन्होंने उन अहिरावण और महिरावण का वध भी किया था। यहाँ पर हनुमान जी के पंचमुख रूप के दर्शन करने से मनुष्य सारे दुस्तर संकटों एवं बंधनों से मुक्त हो जाता है।
10.महावीर हनुमान मंदिर, पटना, बिहार
पटना जंक्शन के ठीक सामने महावीर मंदिर के नाम से श्री हनुमान जी का मंदिर है। यह मंदिर बाकि हनुमान मंदिरो से कुछ अलग है। यहा बजरंगबली की 2 मूर्तियां खड़े रूप में है। एक मुर्ती परित्राणाय साधूनाम् अर्थात अच्छे लोगों के कारज पूर्ण करने वाली है और दुसरी मूरत (विनाशाय व दुष्कृताम्) बुरे लोगों की बुराई दूर करने वाली है। यह मंदिर पटना रेलवे स्टेशन से निकल कर उत्तर दिशा की निकासी पर थोड़े दूर की दुरी पर स्थित है।
11.गिरजाबंध हनुमान मंदिर – रतनपुर – छत्तीसगढ़
बिलासपुर से 25 कि. मी. दूर एक स्थान है रतनपुर। इसे महामाया नगरी भी कहते हैं। यह देवस्थान पूरे भारत में सबसे अलग है। इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित हनुमानजी का मंदिर है। खास बात यह है कि विश्व में हनुमान जी का यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान नारी स्वरूप में हैं। इस दरबार से कोई निराश नहीं लौटता। भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
12.उलटे हनुमान का मंदिर, साँवरे, इंदौर
भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूर स्थित है यह धार्मिक स्थान जहाँ भगवान हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर साँवरे नामक स्थान पर स्थापित है इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं। मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है। साँवरे का हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है यहाँ आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। यह स्थान ऐसे भक्त का रूप है जो भक्त से भक्ति योग्य हो गया।
13.श्री सिद्धबली जी कोठद्वार उत्तराखंड
उत्तराखंड के कोटद्वार स्थित श्री सिद्धबली धाम हिंदुओं की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। हनुमान बली जी के इस पौराणिक और इतिहासिक मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी है। श्री सिद्धबली बाबा के दर्शन के लिए देश एवं विदेश से श्रद्धालु यहां आते हैं और मंदिर में मत्था टेककर मनोकामना मांगते हैं। बाबा अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते। मुराद पूरी होने के बाद श्रद्धालु मंदिर में भंडारा कर भोग लगाते हैं।
14.भद्र मारुति मंदिर, औरंगाबाद, महाराष्ट्रा
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास, खुल्दाबाद में स्थित भद्र मारुति मंदिर भगवान हनुमान के चमत्कारी और सिद्ध मंदिरो में से एक है। मंदिर में भगवान हनुमानजी की मूर्ति पुनरावर्ती मुद्रा में है। यह उन तीन मंदिरों में से एक है जहां भगवान हनुमान का शयन अर्थात लेटे मुद्रा में विराजमान है। दो अन्य मंदिर मध्य प्रदेश के जाम सवाली और इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित हैं। भक्तों द्वार बिभिन्न शुभ अवसरों पर भद्र मारुति मंदिर के दर्शन किये जाते है ।
मंदिर के केंद्र में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है। मंदिर की दीवारों के भीतरी भाग पर भजन लिखे गए हैं। भगवान हनुमान की मूर्ति एक नारंगी पोशाक और बरगद के पत्तों से बनी एक माला से सुशोभित है। एक किंवदंती में कहा गया है कि रामायण युग के दौरान, जब भगवान हनुमान लक्ष्मण के लिए संजीवनी उपाय की तलाश में थे, यह वह स्थान था जहां उन्होंने विश्राम किया था। इसलिए, मंदिर में मूर्ति सोने की स्थिति में दिखाई देती है।
15.प्राचीन हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली
ऐसा विविध है कि महाभारत काल में पांडवों ने दिल्ली में पांच मंदिरों की स्थापना की थी। उन्हीं पांच मंदिरों में से एक है यह प्राचीन हनुमान मंदिर। अन्य चार मंदिरों में शामिल हैं दक्षिण दिल्ली का काली मंदिर-‘कालकाजी’, कुतुब मीनार के निकट योगमाया मंदिर, पुराने किला के निकट भैरो मंदिर एवं निगम बोध घाट स्थित नीली छतरी महादेव मंदिर। दिल्ली का प्राचीन हनुमान मंदिर।
कनाट प्लेस के बाबा खडग़ सिंह मार्ग पर स्थित इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए न सिर्फ दिल्ली के ही लोग नहीं बल्कि विश्व भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। हर रोज मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है किन्तु मंगलवार और शनिवार को मंदिर परिसर में पैर रखने की भी जगह नहीं होती। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं।
16.पनकी हनुमान जी कानपुर
उत्तरप्रदेश के कानपुर में सेंटर स्टेशन से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर पनकी स्थित हनुमानजी का मंदिर है जिसे पनकी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर लाखों श्रद्धालु दूर-दूर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी का ये मंदिर बेहद प्राचीन है। इधर आने वाले सभी भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं। यहां के लोग कहते हैं कि ये मंदिर करीब 400 बरस पुराना है। इसकी स्थापना श्रीश्री 1008 महंत पुरुषोत्तमदासजी ने की थी।
17.श्री संकटमोचन मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
संकट मोचन मंदिर वाराणसी कैंट स्टेशन से 9.9 किमी दूरी पर है। यहां पहुंचने के लिए आपको कैंट से ऑटो लेना होगा। जिससे आसानी से दुर्गाकुंड के रास्ते संकटमोचन मंदिर पहुंच जाएंगे। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना उसी स्थान पर हुईं हैं, जहा महाकवि तुलसीदास को पहली बार हनुमान का स्वप्न आया था। संकट मोचन मंदिर की स्थापना कवि तुलसीदास ने की थी। परम्पराओं की माने तो कहा जाता हैं कि मंदिर में नियमित रूप से आगंतुकों पर भगवान हनुमान की विशेष कृपा होती हैं। हर मंगलवार और शनिवार, हज़ारों की तादाद में लोग भगवान हनुमान को पूजा अर्चना अर्पित करने के लिए कतार में खड़े रहते हैं।
बाल समय रवि भक्षी लियो तब तीनो लोक भयो अंधियारो
ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहू सो जात न टारो ||
देवन आनि करी बिनती तब छाडी दियो रबि कष्ट निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो ||
हमने विस्तृत रूप से जाना की भगवान हनुमानजी के 17 चमत्कारी मंदिर कहाँ कहाँ है तथा इन मंदिरो की क्या विशेषता है और जहाँ लाखो भक्तो और श्रद्धालुओं का वर्ष भर ताँता लगा रहता है यहाँ भक्त अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है किन्तु यदि आपके घर में रामायण पाठ होता रहता हैं या राम जप चलता रहता है या नियमित रूप से आप हनुमान चालीसा पढ़ते रहते हैं तो निश्चित ही आप पर हनुमानजी की कृपा है। हनुमानजी जिस पर भी प्रसन्न रहते हैं वह व्यक्ति भयमुक्त और निर्भिक जीवन जीता है। ऐसे जातक के जीवन में किसी भी प्रकार का संकट नहीं होता है
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