आयुर्वेद में त्रिफला को एक विशेष औषधि के रूप जाना जाता है त्रिफला के फायदे वैसे तो कई है पर त्रिफला कुछ विशिष्ट बीमारियों के लिए बहुत अधिक फायदेमंद है। उदाहरण के लिए, यह पेट के अल्सर को रोकने और ठीक करने के लिए पेट में स्वस्थ एंजाइमों को बहाल कर सकता है, हाइपरएसिडिटी का इलाज कर सकता है, अपनी कायाकल्प गुणवत्ता के कारण यकृत की समस्याओं, अस्थमा, पीलिया, दंत रोग और कैविटी आदि में सहायता कर सकता है। इस लेख में त्रिफला के फायदे, उपयोग एवं नुकसान तथा इसके बनाने की विधि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे |
त्रिफला क्या है ?
त्रिफला के फायदे, उपयोग एवं नुकसान लेख में हमने त्रिफला के गुणों ,त्रिफला के लाभ आदि के बारे में विस्तार से जानेगे त्रिफला एक प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचार है जो भारतीय आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह तीन मुख्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बना होता है: अमलकी (आंवला), हरीतकी(हरड़ ) और बिभितकी(बहेड़ा )। ये तीन जड़ी-बूटियां मिश्रित रूप में त्रिफला बनाती हैं।चूँकि यह “तीन फलों” से बना है, इसलिए त्रिफला है |
यह हजारों साल पुराना आयुर्वेदिक फार्मूला आमतौर पाचन समस्याओ के निदान तथा वात, पित्त और कफ दोषों पर इसके चिकित्सीय प्रभावों के कारण प्रभावी औषधि के रूप माँ जाना जाता है | यही एक कारण है कि आयुर्वेदिक चिकित्सक अक्सर पित्त दोष संतुलन के लिए त्रिफला का उपयोग करने की सलाह देते हैं।
त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि
त्रिफला के फायदे, उपयोग एवं नुकसान लेख में हम त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि के बारे जानेगे यंहा हम 500 ग्राम चूर्ण बनाने की विधि बता रहे है।
5०० ग्राम त्रिफला चूर्ण बनाने के लिए आपको चाहिए:
आंवला (Emblica officinalis) – 250 ग्राम
बहेड़ा (Terminalia bellirica) – 200 ग्राम
हरड़ (Terminalia chebula) – 100 ग्राम
सबसे पहले इन तीनों फलों को 4-5 दिन तक धुप में सूखा दे।
अब उनके बीज निकाल कर तीनों फलो को मिक्सर की मदद से अच्छे से पीस लीजिये |
अब तीनों फलो के मिक्चर को अच्छी तरह मिलाना है |अब त्रिफला चूर्ण तैयार है
तो आपका त्रिफला चूर्ण तैयार है, अब उसे एयर टाइट कंटेनर में पैक करके रख दीजिये।
याद रखे की त्रिफला का चूर्ण 3:2:1 के अनुपात ने बनाया जाता है |त्रिफला की मात्रा में आंवला के 3 भाग, बहेड़ा के 2 भाग और हरड़ का 1 भाग (3:2:1)रखना है।
इस चूर्ण को एयरटाइट डब्बे में बंद करके करके रखे तथा प्रतिदिन उपयोग करे |
त्रिफला के फायदे
त्रिफला के फायदे, उपयोग एवं नुकसान लेख में आगे जानते है की त्रिफला के क्या फायदे है? त्रिफला में मौजूद तीन फल (आंवला, बहेड़ा, हरड़) अपने आप में कई औषधिया गुण रखते है |यह न सिर्फ रोग ग्रसित व्यक्ति के लिए लाभदायक है किन्तु यह स्वस्थ्य और दीर्घ कालीन जीवन के लिए भी सहायक है सिद्ध हुआ है |त्रिफला को वैसे तो आयुर्वेद में बहुत ही लाभकारी और गुणकारी औषधि माना गया है किन्तु यहाँ त्रिफला के कुछ महत्वपूर्ण फायदे और लाभ के बारे में चर्चा करेंगे |
पाचन में सुधार
यह पाचन टॉनिक के रूप में कार्य करके पाचन प्रक्रिया को बढ़ाता है जो पाचन अंगों को साफ करता है। इसके औषधीय गुण कब्ज, सामान्य जठतंत्रिका की परेशानी को रोकने और ठीक करने में मदद करते हैं। यह पाचनतंत्र में भी सुधार करता है, अशुद्धियों को शरीर से निकाल कर शरीर को शुद्ध करता है |
रोग प्रत्तिरोधक क्षमता को बढ़ाता है
त्रिफला एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ने में मदद करता है। इस तरह, यह ऊर्जा उत्पन्न करके और शारीरिक विषाक्त पदार्थों से छुटकारा दिलाकर शरीर में सुस्ती और थकान से भी लड़ता है। साथ ही एंटीऑक्सीडेंट गुण की बजह से यह रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है
आंख की देखभाल
त्रिफला विटामिन ए से भरपूर होता है, जो ऐसी समस्याओं के इलाज और रोकथाम में मदद करता है। कोई भी नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण के के उपयोग से आँखों के रोगो में लाभ हो सकता है |
त्वचा और बालों की समस्या में लाभ
त्रिफला के एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुण त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे त्वचा की सूजन, लालिमा, मुँहासे, ऑक्सीडेटिव चोट, त्वचा का सूखापन आदि को ठीक करने और रोकने में मदद करते हैं।
त्रिफला के पास बालों की कई तरह की समस्याओं का भी समाधान है। यह बालों के झड़ने को कम करने, बालों के झड़ने और रूसी को रोकने, बालों के रोम को खोलने, समय से पहले बालों के सफेद होने को ठीक करने और रोकने आदि में मदद कर सकता है, जिससे चमकदार और मुलायम बाल प्राप्त हो सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल होता है कंट्रोल
कुछ अध्यन में पाया गया है की अगर त्रिफला का सेवन नियमित किया जाये तो कोलोस्ट्रोल को भी कण्ट्रोल किया जा सकता है |
वजन घटाने में सहायक
त्रिफला में मौजूद गुण चर्बी को घटाकर वजन कम (Weight Loss) में मदद कर सकते हैं, खाली पेट त्रिफला चूर्ण कुनकुने पानी के साथ सेवन करने से इसमें मौजूद तत्व शरीर की चर्बी को कम करने में मदद करता है, जिससे वजन आसानी से कम होता है।
त्रिफला चूर्ण के नुकसान
त्रिफला से पाचनक्रिया पर असर
त्रिफला चूर्ण का ज़रूरत से ज़्यादा सेवन दस्त, पेट की तकलीफ, गैस और कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है। क्योंकि त्रिफला एक हल्का लेक्सेटिव है, जिसे पाचन खराब हो सकता है। इसलिए अगर इस तरह के लक्षण महसूस हों, तो त्रिफला का सेवन रोक डीन चाहिए |
त्रिफला के सेवन से आपका ब्लड प्रेशर गिर सकता है।
त्रिफला के अत्यधिक मात्रा में सेवन से ब्लड प्रेशर के स्तर गिर सकता है।
दवाइयों का असर कम कर सकता है |
त्रिफला चूर्ण शरीर में एंज़ाइम्स के काम को प्रभावित कर सकता है। जिसकी वजह से दवाएं ठीक से काम नहीं कर पातीं। इसलिए बेहतर होगा कि आप त्रिफला चूर्ण के अधिक सेवन से बचें।
प्रेग्नेंसी के दौरान न करे सेवन
त्रिफला में हरतकी नामक एक तत्व होता है, जो गर्भावस्था के दौरान सेवन के लिए सुरक्षित नहीं है। यह बच्चे के साथ-साथ मां पर भी हानिकारक प्रभाव डाल सकता है और इसलिए बेहतर होगा कि आप गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन न करे ।
त्रिफला के सम्बन्ध में सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न :त्रिफला चूर्ण का सेवन कैसे करे ?
उत्तर : त्रिफला चूर्ण को हलके कुनकुने पानी के साथ सेवन किया जा सकता है |
प्रश्न :त्रिफला चूर्ण कितने दिन खाना चाहिए?
उत्तर : त्रिफला चूर्ण का प्रयोग कण से काम १-२ माह तक करना चाहिए |
प्रश्न : त्रिफला चूर्ण कौन सी बीमारी में काम आता है?
उत्तर : त्रिफला चूर्ण पेट सम्बन्धी बिमिरिओं में तथा नेत्र रोग, मधुमेह आदि रोगो में भी काम आ सकता है |
प्रश्न : त्रिफला खाने से क्या होगा?
उत्तर : त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है तथा नेत्र रोग के उपचार में भी सहायक हो सकता है |
प्रश्न : क्या त्रिफला खून साफ करता है?
उत्तर : गुनगुने पानी से त्रिफला चूर्ण का प्रयोग करने से कुछ हद तक इससे खून साफ होता है।
प्रश्न :त्रिफला कौन सा फल होता है?
उत्तर : त्रिफला में आंवला, हरड़ और बहेड़ा होता है|
त्रिफला के फायदे, उपयोग एवं नुकसान लेख में हमने त्रिफला के गुणों ,त्रिफला के नुकसान तथा इसके उपयोग की विधि एवं इसके चूर्ण बनाने के तरीके के बारे में विस्तार से बताया है | तथा हमने इस लेख को बेहतर और उपयोगी बनाने के लिए पूर्ण कोशिश की है उम्मीद है आपकी लिए ये जानकारी उपयोगी होगी | आपके सुझाव और मार्गदर्शन जरूर दे |
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